कपास में पिंक बॉलवर्म का खतरा, जानें कैसे बचाएं अपनी फसल
पिछले 3-4 सालों से गुलाबी सुंडी या इल्ली का हर साल फसल पर हमला देखने को मिल रहा है.
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पिंक बॉलवर्म के लार्वा पुरानी फसल के डंठल में रहते हैं और नई फसल पर अपना जीवनचक्र को पूरा करते हैं. (Photo-Zeebiz)
इस बार किसान भारी बारिश और सूखे के बीच झूल रहे हैं. जहां यह संकट नहीं है, वहां कीट और बीमारियों के हमले से किसान हलकान हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान बारिश न होने की वजह से परेशान हैं. खेतों में खड़ी धान की फसल सूख रही है. यहां के अलावा तमाम ऐसे इलाके हैं जहां फसल बाढ़ में डूबी हुई है.
लेकिन महाराष्ट्र के किसान न तो सूखे और न ही बाढ़ से परेशान हैं, बल्कि उनकी चिंता की वजह खेतों में खिली कपास की फसल (Cotton Crop) पर लग रहे कीट हैं.
महाराष्ट्र के कपास के खेतों में पिंक बॉलवर्म या गुलाबी इल्ली (Pink Bollworm-PBW) का असर दिखाई देने से किसान परेशान हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुलाबी बॉलवर्म कपास का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है. यह कीड़ा अपना पूरा जीवन कपास पर ही पूरा करता है और यह छोटे पौधे से लेकर कली, फूल तक को खाकर उसे नुकसान पहुंचाता है.
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (PUSA) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेपीएस डबास बताते हैं कि पिछले 3-4 सालों से गुलाबी सुंडी या इल्ली का हर साल फसल पर हमला देखने को मिल रहा है. इसके शुरू में ही कंट्रोल करना पड़ता है. अगर इस कीट को लेकर किसान जरा सी भी लापरवाही करते हैं तो पूरी फसल चौपट हो सकती है. महाराष्ट्र में इसका ज्यादा असर देखने को मिलता है.
डॉ. जेपीएस डबास के मुताबिक, पिंक बॉलवर्म के लार्वा पुरानी फसल के डंठल में रहते हैं और नई फसल पर अपना जीवनचक्र को पूरा करता है और कपास की बढ़ती फसल में अंडे देता है. नए लार्वा केवल कलियों या फूलों पर खिलाते हैं. अगर फसल में कली या फूल नहीं है तो यह लार्वा फसल को कोई नुकसान पहुंचाए बिना मर जाता है.
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डॉ डबास ने बताया कि इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए देर से फसल की बुआई करनी चाहिए.
इस तरह करें बचाव
कपास में फूल लगने और फूल खिलने के दौरान इस कीट का हमला होता है. संक्रमित फूल, कलियां और छोटे कपाल बॉल नीचे गिर जाते हैं. लार्वा बॉल में घुस कर शाखाओं और बीजों को नुकसान पहुंचाता है.
जिस फूल और कली में कीट दिखाई दे उसे तोड़कर नष्ट कर दें. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कीटनाशक का छिड़काव करें. साइपरमेथ्रिन 10 ईसी 10 मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी 10 मिली 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
03:11 PM IST