AIR INDIA की सरकार से TATA Group में घर वापसी का ये है पूरा घटनाक्रम, कब क्या हुआ जानिए सबकुछ
Air India handed over to Tata Group : नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली टाटा कंपनी ने घाटे में चल रही एयरलाइन का अधिग्रहण (air india handover) कर कई साल से इसकी बिक्री के लिए किए जा रहे असफल प्रयासों पर विराम लगा दिया है.
जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने साल 1932 में एयरलाइन की स्थापना की. (ज़ी बिज़नेस)
जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने साल 1932 में एयरलाइन की स्थापना की. (ज़ी बिज़नेस)
Air India handed over to Tata Group : एयर इंडिया (AIR INDIA) 69 साल बाद गुरुवार को आखिरकार एक बार फिर से अपने संस्थापक टाटा ग्रुप की हो गई है. नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली टाटा कंपनी ने घाटे में चल रही एयरलाइन का अधिग्रहण (air india handover) कर कई साल से इसकी बिक्री के लिए किए जा रहे असफल प्रयासों पर विराम लगा दिया है. सरकार ने दो दशकों से ज्यादा समय और तीन कोशिशों के बाद आखिरकार अपनी प्रमुख राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेच दिया. एयर इंडिया अब अपने संस्थापक टाटा समूह के पास लौट गई है.
एयर इंडिया की घर वापसी का टाइमलाइन
- जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने साल 1932 में एयरलाइन की स्थापना की. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इसका नाम टाटा एयरलाइंस रखा. साल 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में लिस्टेड किया गया था.
- साल 1948 में यूरोप के लिए फ्लाइट सर्विस शुरू करने के साथ एयर इंडिया इंटरनेशनल को शुरू किया गया था. यह अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी. जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और बाकी हिस्सेदारी जनता की थी.
- 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और अगले चार दशक तक यह भारत के घरेलू विमानन क्षेत्र पर राज करती रही.
- 1994-95 में निजी कंपनियों के लिए विमानन क्षेत्र के खुलने और निजी कंपनियों द्वारा सस्ते टिकटों की पेशकश करने के साथ एयर इंडिया ने धीरे-धीरे अपनी बाजार हिस्सेदारी खोनी शुरू कर दी.
- अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने अपनी व्यापक निजीकरण और विनिवेश को बढ़ावा देने की पहल के तहत 2000-01 में एयर इंडिया (AIR INDIA) में सरकार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी.
- टाटा समूह के साथ सिंगापुर एयरलाइंस ने हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई, लेकिन आखिर में सिंगापुर एयरलाइंस को मुख्य रूप से निजीकरण के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के विरोध के चलते पीछे हटना पड़ा और विनिवेश योजना पटरी से उतर गई.
- वर्ष 2004 से 2014 के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 10 वर्षों में एयर इंडिया सहित किसी भी निजीकरण के एजेंडा को आगे नहीं बढ़ाया. पिछली संप्रग सरकार ने 2012 में एयर इंडिया को पटरी पर लाने की योजना के साथ-साथ वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूरी दी थी. 2007-08 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से एयर इंडिया को हर साल नुकसान उठाना पड़ा.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) के निजीकरण के प्रयास शुरू किए.
TRENDING NOW
- जून 2017: मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने एयर इंडिया और उसकी पांच सब्सिडियरी कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश के विचार को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. इसके लिए मंत्रियों की एक समिति यानी ‘एयर इंडिया स्पेसिफिक ऑल्टरनेट मैकेनिज्म’ (एआईएसएएम) का गठन किया गया.
- मार्च 2018: सरकार ने एयर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेशकों से रुचि पत्र आमंत्रित किए. इसके तहत शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास होती. इस सौदे में एयर इंडिया एक्सप्रेस की 100 प्रतिशत और ग्राउंड हैंडलिंग से जुड़ी इकाई एआईएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी शामिल थी. बोली लगाने की आखिरी तारीख 14 मई थी.
- मई 2018: एयर इंडिया के लिए कोई बोली हासिल नहीं हुई.
Excited to take off with you! 😊 #AirIndiaOnBoard https://t.co/t1HEGKTwlE
— Tata Group (@TataCompanies) January 27, 2022
- जून 2018: सरकार ने तेल की कीमतों में नरमी आने तक एयर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया को धीमा करने का फैसला किया.
- जनवरी 2020: सरकार ने एयर इंडिया के निजीकरण के लिए रुचि पत्र (ईओआई) जारी किया. सरकार ने कहा कि वह 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच कर एयर इंडिया से पूरी तरह बाहर निकलेगी. इस सौदे में एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100 प्रतिशत और एआईएसएटीएस का 50 प्रतिशत हिस्सा भी शामिल होगा. बोली लगाने की आखिरी तारीख 14 दिसंबर तक पांच बार बढ़ाई गई.
- ईओआई के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक एयरलाइन के कुल 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज में से, खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये का भार अपने ऊपर लेना था.
- अक्टूबर 2020: सरकार ने सौदे को आकर्षक बनाया; निवेशकों को एयर इंडिया के कर्ज की राशि के एक हिस्से की अदायगी की शर्त में ढील दी.
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- दिसंबर 2020: दीपम सचिव ने कहा कि एयर इंडिया के लिए कई बोलियां आई हैं.
- मार्च 2021: तत्कालीन नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कोई विकल्प नहीं बचा है, हम या तो निजीकरण करेंगे या हम एयरलाइन को बंद कर देंगे. एयर इंडिया के अभी पैसा कमाने के बावजूद हमें हर दिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. अप्रैल 2021: सरकार ने एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित करनी शुरू की. बोली लगाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी.
Message from our Chairman N. Chandrasekaran welcoming @airindiain back. #AirIndiaOnboard #ThisIsTata pic.twitter.com/5AmQRMTXWL
— Tata Group (@TataCompanies) January 27, 2022
- सितंबर 2021: टाटा समूह, स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने वित्तीय बोली लगाईं.
- 8 अक्टूबर 2021: सरकार ने घोषणा की कि टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाई है.
- 25 अक्टूबर 2021: सरकार ने एयर इंडिया के हस्तांतरण के लिए टाटा समूह के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए.
- 27 जनवरी 2021: एयर इंडिया पूरी तरह टाटा समूह की हुई.
07:01 PM IST