हिमाचल प्रदेश में आलू की बंपर फसल, दाम में इजाफे से किसान खुशहाल
हर साल घाटी से आलू की फसल का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के बाजारों में जाता है.
हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में आलुओं की बंपर फसल हुई है, जो कि पिछले साल की फसल से लगभग दोगुनी है. (File Image- PTI)
हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में आलुओं की बंपर फसल हुई है, जो कि पिछले साल की फसल से लगभग दोगुनी है. (File Image- PTI)
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की लाहौल घाटी (lahaul valley) के आलू हॉटकेक्स की तरह बिक रहे हैं. यहां आलुओं की बंपर फसल (Potato Production) हुई है, जो कि पिछले साल की फसल से लगभग दोगुनी है. साथ ही किसानों को अपनी मेहनत का अच्छा मूल्य भी मिल रहा है.
हिमालय में भारत-चीन सीमा के करीब स्थित लाहौल घाटी में एक साल में एक ही फसल पैदा होती है और वो भी हिमालय पर जमी बर्फ के पिघलने से बनी जलधाराओं पर निर्भर है. अभी यहां आलू की कटाई हो चुकी है और अब फसल बिकने के लिए बाजार में जाने तैंयार है.
हर साल घाटी से आलू की फसल का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाजारों में जाता है, जहां उनका मुख्य रूप से फसलों के बीज के रूप में उपयोग होता है.
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इस समय करीब आधी जमीन पर मैककेन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए ठेके पर आलू की खेती हो रही है इसलिए फसल का एक बड़ा हिस्सा कंपनी को बेच दिया गया है. 2019 की तुलना में इस बार कीमतें और उपज अधिक रही है.
निजी कंपनियां चिप्स बनाने वाली किस्मों जैसे 'संताना' (Santana) को बढ़ावा दे रही हैं, इसलिए किसान कुछ हिस्सों में वही किस्म उगा रहे हैं, वहीं बाकी जमीन में पारंपरिक किस्मों की खेती हो रही है.
मैककेन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के अलावा हाइफुन फ्रोजन फूड्स और बालाजी फूड्स भी ठेके पर खेती को बढ़ावा दे रही हैं. चिप्स वाली किस्म 'संताना' का 50 किग्रा का एक बैग 1,200 से 1,300 रुपये की कीमत पर बिक रहा है, जबकि 2019 में इसकी कीमत 1,000 रुपये थी.
राज्य के कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, लाहौल घाटी में 750 हेक्टेयर में 'कुफरी चंद्रमुखी' और 'कुफरी ज्योति' (Kufri Jyoti) किस्मों के लगभग 35,000-40,000 बैग (50 किलो वाली) की कटाई की जाती है.
लाहौल बीज आलू उत्पादक सहकारी विपणन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रेम लाल ने बताया कि वे सीधे उत्पादकों से आलू खरीद रहे हैं.
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आलुओं के अलावा लाहौल-स्पीति औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और हींग, अकुथ, काला जीरा, केसर जैसे कई मसालों का भी एक बड़ा उत्पादक है. हिमाचल के ये प्रोडक्ट देश और दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि साल में केवल 5 महीने से कम समय की खेती करने वाली यह घाटी सब्जी की कटोरी में बदल रही है, क्योंकि यहां रिटर्न दोगुने से भी ज्यादा है.
06:58 PM IST