महाराष्ट्र में बिजली ग्राहकों को बड़ी राहत, 3 किस्तों में जमा करा सकते हैं बिजली का बिल
MERC ने बिजली वितरण कंपनियों से कहा है कि बिजली बिल का भुगतान 3 किस्तों में किया जाना चाहिए.
कोराना संकट के बीच लॉकडाउन के दौरान बिजली मीटर की मीटर रीडिंग (electricity meter reading) न होने की वजह से काफी लोग परेशान हैं. क्योंकि मार्च-अप्रैल और मई में कम बिल (Electricity Bill) के बाद अब जून में भारी भरकम बिल आया है. ऐसे ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिए महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (MERC) ने निर्देश जारी किए हैं.
बिजली की बढ़ी दरों को लेकर लोगों की शिकायत बढ़ने पर MERC ने बिजली वितरण कंपनियों के साथ बैठक की थी और इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए.
क्या हैं नए निर्देश
MERC ने बिजली वितरण कंपनियों से कहा है कि अगर जून में आया बिल मार्च-अप्रैल-मई के बिल औसत के मुकाबले दोगुना है. ऐसे में 3 किस्तों में पेमेंट का मौका देना चाहिए. यह भी कहा गया है कि शिकायतों की सुनवाई के दौरान किसी भी ग्राहक का बिजली कनेक्शन नहीं काटा जाना चाहिए.
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MERC ने कंपनियों से कहा है कि वे बिजली बिल के तौर-तरीके में ट्रांसपेरेंसी और बढ़ाएं. कंपनियों को इस बात के भी निर्देश दिए गए हैं कि ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत निपटारा किया जाए.
सभी सब-डिवीजन और डिवीजन के स्तर पर हेल्प डेस्क बनें और शिकायत आने के एक दिन में सुनवाई पूरी कर ली जाए. बिल में शंका होने पर ग्राहक अपने बिजली बिल की पिछले साल की खपत से और बिजली दर से तुलना कर पाएं, इसकी व्यवस्था कराई जाए. अगर किसी ग्राहक की शिकायत है कि उसका बिल बहुत ज्यादा है तो उस स्थिति में वितरण कंपनियों को दोबारा मीटर रीडिंग का इंतज़ाम कराना होगा.
बिजली कंपनियों की दलील
बैठक में बिजली वितरण कंपनियों ने MERC को बताया कि मार्च के पहले के तीन महीनों के औसत के आधार पर मार्च अप्रैल और मई में बिल भेजा गया था. क्योंकि सर्दियों में खपत कम होती है. इसलिए इन तीन महीनों का बिल कम आया था. जबकि अप्रैल-मई और जून में गर्मी बढ़ने से खपत बढ़ जाती है.
हालांकि, कंपनियों की दलील थी कि खपत की यूनिट को पुराने बिल के साथ एडजस्ट कर भेजा गया है ताकि ऊंची दर वाले स्लैब में बेवजह बिलिंग न हो. ऊंची स्लैब में बिजली की दर कई बर 10 रुपये यूनिट से भी अधिक पहुंच जाती है और बिल काफी ज्यादा आता है.
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मुंबई में टाटा पावर, अदानी पावर, बेस्ट और MSEDL जैसी कंपनियां बिजली सप्लाई करती हैं.
कंफ्यूज़न क्यों
दरअसल, कोराना की वजह से मीटर रीडिंग का काम नहीं हो पा रहा था. कंपनियां पिछले बिल के औसत के हिसाब से बिल भेज रही थीं. जून में थोड़ी रियायत मिलने पर बिजली मीटर की रीडिंग का काम वापस शुरू किया गया. जिससे असली खपत और पहले के औसत खपत के आधार पर भेजे गए बिल की रकम में भारी अंतर था. एकमुश्त बिल की भारी रकम देखकर ग्राहकों में गुस्सा फूट पड़ा.
08:30 AM IST