आपकी खबर, आपका फायदा: वीडियो गेम का 'खतरनाक' खेल कर रहा आपके 'दिमाग' से खिलवाड़?
WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर आपका बच्चा सभी कामों को निपटाने के बाद वीडियो गेम खेलता है, तो इसे गेमिंग डिसऑर्डर नहीं कहा जा सकता. अगर ऐसा नहीं है तो मामला चिंताजनक है.
वीडियो गेम की वजह से युवाओं में तनाव बढ़ रहा है (फोटो- Pixabay).
वीडियो गेम की वजह से युवाओं में तनाव बढ़ रहा है (फोटो- Pixabay).
वो भी दिन था जब रोज शाम मोहल्ले की गलियों और सड़कों पर बच्चों का शोर गूंजा करता था. शोर खेल के हुड़दंग का, शोर बच्चों की हंसी का, लेकिन आज नजारा बदलता जा रहा है. बच्चे अब गेम तो खेलते हैं, लेकिन घर से बाहर नहीं, बल्कि घर के अंदर. ये है वीडियो गेम, जिसे खेलने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता. इसके लिए सिर्फ मोबाइल फोन या टीवी ही काफी है. बस बैठ जाइये और खेल शुरू. लेकिन बच्चों की ये आदत उनके लिए एक बीमारी बनती जा रही है. WHO ने अपनी रिपोर्ट में कुछ बेहद गंभीर बातें कही हैं. WHO के मुताबिक-
1) बच्चों को वीडियो गेम खेलने की लत लगती जा रही है.
2) वीडियो गेम की लत को गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं.
3) WHO इसे बीमारी घोषित करने पर काम कर रहा है.
4) WHO मानता है कि ये लत सिगरेट, शराब के लत जैसी है.
5) गेम की लत की वजह से बच्चे हमेशा तनाव में रहते हैं.
6) वीडियो गेम की वजह से युवाओं में तनाव बढ़ रहा है.
7) MRI स्कैन में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
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— Zee Business (@ZeeBusiness) May 22, 2019
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WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर आपका बच्चा सभी कामों को निपटाने के बाद वीडियो गेम खेलता है, तो इसे गेमिंग डिसऑर्डर नहीं कहा जा सकता. अगर ऐसा नहीं है तो मामला चिंताजनक है. रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो गेम की वजह से बच्चों का पढ़ाई की तरफ रुझान कम हो रहा है. वीडियो गेम की वजह से बच्चों में कई और परेशानियां भी देखने को मिलती हैं. बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाता है. बिना बात गुस्सा करने लगता है. वीडियो गेम खेलने से रोकने पर कभी कभी हिंसक भी हो जाता है. ऐसे में वो अपने से बड़ों पर हाथ भी उठा देता है. वीडियो गेम की वजह से बच्चे की एकाग्रता पर भी असर पड़ता है.
वीडियो गेम की लत और उसकी गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वोटिंग करवाने का फैसला किया है, जिसके बाद इस लत को आधिकारिक तौर पर बीमारी घोषित किया जा सके. डॉक्टरों का मानना है कि बच्चे बीमार इसलिए हैं क्योंकि वो स्कूल से लौटने के बाद सारा काम छोड़कर मोबाइल पर वीडियो गेम में लग जाते हैं. ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक दोनों की मदद लेनी पड़ती है. अगर दोनों एक साथ इलाज शुरू करें तो बहुत जल्द इसके नतीजे दिखने शुरू हो सकते हैं. WHO के मुताबिक 10 में से एक मरीज को अस्पताल में रहकर इलाज कराने की जरूरत पड़ जाती है. गेमिंक की इस लत से निजात पाने में 6 से 8 हफ्तों का वक्त लग सकता है.
ये वीडियो गेम की लत ही है जिसके कारण कई देशों में कई वीडियो गेम्स खेलना बैन है. इसका सबसे अच्छा इलाज तो यही है कि आप अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें, उनके साथ बाहर वक्त बिताएं.
06:16 PM IST