Mumbai Local के पैसेंजर्स हो जाएं सावधान, 9 साल में ट्रेन दुर्घटनाओं में हुई 11,316 यात्रियों की मौत
Mumbai Local Train Death: मुंबई लोकल ट्रेन से सफर करते हैं, तो आपको बता दें कि पिछले 9 साल में 11,316 पैसेंजर्स की मौत हो गई.
(Source: Reuters)
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Mumbai Local Train Death: लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफलाइन कहा जाता है और हर रोज 60 लाख से ज्यादा लोग इससे ट्रैवल करते हैं. पीक आवर्स में मेट्रो से सफर करना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं होता है. लेकिन लोगों के लिए ये सफर कई बार जानलेवा भी साबित हो जाता है. कोरोना काल के बाद उपनगरीय रेलवे की ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बढ़ गई है और दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ने लगी है.
ट्रेनों से गिरकर हुई 11,316 पैसेंजर्स की मौत
आपको बता दें कि पिछले 9 साल में मुंबई के अंदर लोकल ट्रेन से हुई दुर्घटनाओं में करीब 11,316 पैसेंजर्स की मौत हो गई है. इसमें से 7,831 लोगों की मौत ट्रैक पार करते हुए हुई और 3,485 पैसेंजर्स की मौत लोकल ट्रेन से गिरकर हुई.
साल | ट्रैक पार करते हुए हुई मौत | लोकल ट्रेन से गिरकर हुई मौत |
2015 | 1197 | 545 |
2016 | 1165 | 446 |
2017 | 1074 | 407 |
2018 | 1022 | 482 |
2019 | 929 | 426 |
2020 | 471 | 134 |
2021 | 748 | 189 |
2022 | 654 | 510 |
2023 | 571 | 346 |
कुल | 7831 | 3485 |
क्या है पीक ऑवर्स
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अगर आप भी मुंबई में काम करते हैं, तो आपको पता होगा कि सुबह 7 बजे से लेकर 11 बजे तक और शाम 5 बजे से लेकर शाम 8-9 बजे तक मुंबई लोकल से सफर करना कितना मुश्किल है. इस समय ट्रेन में घुसने की जगह नहीं होने के कारण यात्री दरवाजे पर लटककर यात्रा करते हैं. इसे मुंबई लोकल का पीक ऑवर्स कहा जाता है.
पिछले नौ वर्षों में ट्रेन दुर्घटनाओं में 11,316 यात्रियों की मौत हो गई।
— Zee Business (@ZeeBusiness) January 4, 2024
उपनगरीय ट्रेनों में सुबह 7 बजे से 11 बजे और शाम 5 बजे से 8.30 बजे के बीच बहुत भीड़ होती है। इस समय ट्रेन में घुसने की जगह नहीं होने के कारण यात्री दरवाजे पर लटककर यात्रा करते हैं.
मध्य रेलवे पर ट्रेनें… pic.twitter.com/qvSHs1bHfm
रेलवे ने पीक ऑवर्स में कमी लाने के लिए दिया सुझाव
सेंट्रल रेलवे ने लोकल ट्रेनों में भीड़ को कम करने के लिए 350 से ज्यादा कंपनियों को लेटर भी लिखा है. रेलवे ने कंपनियों को ऑफिस टाइमिंग और वीकली ऑफ में बदलाव करने की सलाह दी है. रेलवे का कहना है कि अलग-अलग शिफ्ट्स में लोगों को बुलाने से पीक ऑवर्स में लोकल की भीड़ को नियंत्रिय किया जा सकेगा. इसके अलावा टेलीमार्केटिंग और कॉल सेंटर जैसी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम जैसे ऑप्शन पर विचार कर सकते हैं.
10:17 PM IST