किसान खुद कर सकेंगे अपने खेत की मिट्टी की जांच, वैज्ञानिकों ने तैयार की टेस्टिंग किट
मिट्टी की जांच के आधार पर किसान फसलों के लिए आवश्यक यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यक मात्रा तय कर सकेंगे.
मृदा वैज्ञानिकों के एक दल ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाली मोबाइल मिट्टी जांच किट विकसित की है जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच कर सकेंगे.
मृदा वैज्ञानिकों के एक दल ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाली मोबाइल मिट्टी जांच किट विकसित की है जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच कर सकेंगे.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agriculture University) ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए नई किट (Soil Test Kit) ईजाद की है, जिसकी मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जांच खुद कर सकेंगे.
रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक, विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिकों के एक दल ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाली मोबाइल मिट्टी जांच किट विकसित की है जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच कर सकेंगे.
इस किट को पिछले सप्ताह भारत सरकार से पेटेंट सर्टिफिकेट मिला था जिसके बाद विश्वविद्यालय ने किट का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है.
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यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी संजय नैय्यर ने बताया कि सरकार खेत की मिट्टी का परीक्षण करने के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रही है, लेकिन इसके लिए किसानों को मिट्टी के नमूने को जिला मुख्यालय में बने कृषि विभाग के प्रयोगशालाओं में लाना होता है. इस प्रक्रिया में चार से पांच दिन लगते हैं.
नैय्यर ने बताया कि अब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार इस किट के माध्यम से किसान अपने खेत में ही मिट्टी का परीक्षण खुद कर सकेंगे. यह तकनीक विश्वविद्यालय के साथ-साथ राज्य के लिए भी एक बड़ी कामयाबी है.
विश्वविद्यालय के कुलपति एसके पाटिल के नेतृत्व में मृदा वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस मृदा परीक्षण किट को विकसित करने के बाद वर्ष 2016 में इसके पेटेंट के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के माध्यम से अप्लाई किया था, जिसे पिछले सप्ताह केंद्र ने मंजूरी दे दी.
इस किट की मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन, सल्फर और पोटाश जैसे पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ ही जैविक कार्बन तथा मिट्टी की जांच कर सकेंगे. वहीं, कृषि और बागवानी फसलों के लिए आवश्यक खाद तथा उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण भी कर सकेंगे.
इस किट की कीमत 4000 से 4500 रुपये होगी, इसमें रासायनिक पदार्थ, पाउडर के साथ-साथ जांच के उपकरण भी होंगे. किसानों को इसके उपयोग के बारे में बताने के लिए एक गाइड और ऑडियो-विजुअल सीडी भी दी जाएगी.
मिट्टी के नमूनों में अलग-अलग प्रकार के रसायनों का उपयोग कर विकसित होने वाले रंगों की गहराई के आधार पर मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगाया जा सकता है. मिट्टी परीक्षण परिणाम और उर्वरक अनुशंसाओं के आधार पर प्रमुख फसलों के लिए उर्वरकों की जरूरी मात्रा की गणना करने का तरीका पुस्तिका में दिया गया है.
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मिट्टी की जांच के आधार पर किसान विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश तथा चूने की आवश्यक मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे. इससे समय और पैसा बचेगा तथा पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी.
एक किट में कम से कम 25 नमूनों की जांच की जा सकती है. वहीं बाद में किसानों को केवल रासायनिक पदार्थ ही खरीदना होगा जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपये होगी. इस किट के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक कंपनी के साथ करार किया गया है. जल्द ही इसका उत्पादन शुरू होगा तथा बाजार में यह किट उपलब्ध हो सकेगा.
07:05 PM IST