Exclusive : आसान भाषा में समझिए भारत से कितना अलग है अमेरिकी चुनाव?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential elections 2020) में वोटिंग 3 नवंबर को होगी लेकिन अर्ली वोटिंग (Early voting) में रिकॉर्ड टूट रहे हैं.
जी बिजनेस का खास प्रोग्राम अमेरिकी चुनाव गुरुकुल
जी बिजनेस का खास प्रोग्राम अमेरिकी चुनाव गुरुकुल
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential elections 2020) में वोटिंग 3 नवंबर को होगी लेकिन अर्ली वोटिंग (Early voting) में रिकॉर्ड टूट रहे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के US Election project के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक 6 करोड़ से ज्यादा लोग अर्ली वोटिंग में मतदान कर चुके हैं. 2016 में अर्ली वोटिंग या मेल से वोट डालने वालों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा थी.
US Presidential elections 2020 भारत से कितना अलग है? इस बारे में 'अमेरिकी चुनाव गुरुकुल' में जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी से खास बातचीत में मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने बताया कि भारत में लोकसभा के चुनाव में जनता सांसद चुनती है. जो पार्टी ज्यादा सीट जीतती है, उसका लीडर Prime Minister बनता है. लेकिन अमेरिका में House of Representative यानि लोकसभा अलग है. वहां हर 4 साल पर चुनाव होते हैं. इसमें अभी डेमोक्रेटिक पार्टी आगे है. वहां President को चुनने के लिए वोटिंग हो रही है.
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इस चुनाव में Republican पार्टी के कैंडिडेट और मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रतिद्वंद्वी Democaratic पार्टी के जो बाइडेन के बीच मुकाबला है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसको ज्यादा वोट मिले वह ही प्रेसिडेंट बनेगा. बग्गा के मुताबिक 1860 में अब्राह्म लिंकन ने जब चुनाव लड़ा था तब वह दक्षिणी राज्यों में नहीं जा पाए थे. क्योंकि वहां Civil war की स्थिति थी. लिंकन ने Slavery हटाने की अपील की थी. जिस कारण दक्षिण राज्यों में विरोध चल रहा था. इसलिए वे वहां चुनाव नहीं लड़ सके. फिर भी जीत गए.
बग्गा के मुताबिक 2000 में जॉर्ज बुश के पास 5 लाख वोट कम थे लेकिन वे जीत गए. इसके बाद 2016 में हिलरी क्लिंटन के पास ट्रंप से 30 लाख ज्यादा वोट थे पर वह चुनाव हार गईं. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां वोटिंग अलग ढंग से होती है. पहली नेशनल वोटिंग में अमेरिका के 50 राज्यों में एक इलोक्टोरल कॉलेज इलेक्ट होता है यानि उस राज्य में कौन जीता है, इस पर आधारित होता है. वह इलेक्टोरल कॉलेज प्रेसिडेंट के लिए वोटिंग करता है.
बग्गा के मुताबिक अगर कैंडिडेट दो-तीन बड़े राज्य में हार जाता है, मसलन अगर कोई Florida में हार गया तो वह प्रेसिडेंट नहीं बन पाता. यहां पर 29 वोट हैं. हिलरी वहां हार गई थीं इसलिए प्रेसिडेंट नहीं बन पाईं.
आसान भाषा में समझिए भारत से कितना अलग है अमेरिकी चुनाव?
— Zee Business (@ZeeBusiness) October 28, 2020
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बग्गा के मुताबिक पहले नेशनल इलेक्शन होगा, फिर इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव होगा. वह इलोक्टोरल कॉलेज 14 दिसंबर को फैसला करेगा कि प्रेसिडेंट कौन होगा. इसके बाद 6 जनवरी को House of representative ऐलान करेगा नए प्रेसिडेंट का नाम.
बग्गा के मुताबिक वोटिंग मेल के जरिए भी होती है. अमेरिका में कुल 24 करोड़ वोट हैं. इनमें 15 करोड़ वोट पड़ेंगे. इनमें करीब 7 करोड़ वोट पड़ चुके हैं. बता दें कि नवंबर में जिस तारीख को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोट डाले जाते हैं उसे अमेरिका का Election Day कहते हैं. अमेरिका में नवंबर में ही चुनाव होते हैं और यह 1 नवंबर और 8 नवंबर के बीच हो जाते हैं.
03:50 PM IST